AMAN AJ

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आई नोट , भाग 13


    
    अध्याय-2
    लक्ष्य और मकसद 
    भाग-6
    
    ★★★
    
    स्टीफन एक लंबा चौड़ा ओवरकोट पहनकर वहां पहुंचा जहां श्रेया के पति का घर था। दिन के तकरीबन 10 बजे का वक्त हो रहा था। धूप ज्यादा नहीं थी। मगर इतनी जरूरत थी जिससे यह लगे कि अब दिन दोपहर की तरफ जा रहा है। 
    
    कार घर के बाहर खड़ी कर उसने आसपास देखा। घर के हालात सामान्य थे। कहीं से भी देखकर यह नहीं लग रहा था कि श्रेया के पति की सुसाइड के बारे में अभी किसी को भी पता चला है। 
    
    उसने गाड़ी को धीरे से घुमाया और घर के अंदर पार्किंग एरिया की ओर ले गया। पार्किंग एरिया में ले जाते ही उसने गाड़ी वहीं खड़ी कर दी। गाड़ी के खड़ी करने के बाद उसने अपने गलेब्स पहने और नीचे उतर आया।
    
    स्टीफन की वेशभूषा इस तरह कि थी की वह अपनी वेशभूषा से किसी पुराने जमाने के डिटेक्टिव की तरह लग रहा था। लंबे ओवरकोट के साथ उसके सर पर लंबी डिटेक्टिव वाली टोपी थी, जूते भी उसने काले रंग के बड़े और डिटेक्टिव वाले पहन रखे थे। उसके चेहरे की काली मूछें कहीं-कहीं उसे पुराने जमाने के किसी किरदार की तरह दिखा रही थी।
    
    नीचे उतरने के बाद उसने स्टाइल से अपनी जेब में हाथ डाला और एक शिगार निकाल कर जला लिया। शिगार जलाने के बाद उसने खड़े-खड़े उसके दो कश भरे, उसका धुआं बाहर की तरफ छोड़ा, चेहरे पर मुस्कुराहट दिखाई और फिर घर की तरफ चलने लगा। उसके चलने का अंदाज और उसकी चाल दोनों ही जबरदस्त थे। 
    
    दरवाजे के पास जाकर उसने धीरे से दरवाजा खोला, सामने पहले छोटा सा गलियारा था और फिर हॉल। हाॅल में उसे सबसे पहले लकड़ी का बना पुराना सोफा दिखाई दिया।
    
    उसने धीरे-धीरे अपने कदमों को आगे बढ़ाया और घर के बीचो बीच आ गया। घर के बीचो-बीच आते ही उसकी नजर बेडरूम की तरफ पड़ी जहां श्रेया के पति की लाश लटक रही थी।
    
    काफी समय से लाश के लटके होने के कारण वह फुल गई थी। फूली हुई लाश की वजह से श्रेया का पति पहले की तुलना में ज्यादा मोटा लग रहा था।
    
    स्टीफन ने यह देख कर अपनी नाक सिकोड़ी और जेब से रुमाल निकाल कर उसे अपने मुंह पर रख लिया। इसके बाद उसने वही घर में आसपास के सम्मान को देखा।
   
    वॉशिंग मशीन हाॅल में ही एक कोने पर मौजूद थी। वहां स्टीफन का ध्यान वॉशिंग मशीन पर पड़ी बेड की चादर पर गया। चददर की तरफ ध्यान जाते ही वह उसकी तरफ बढ़ा और वहां जाकर चादर उठा ली।
    
    चादर उठा लेने के बाद वह बेडरूम में आया और खिड़की के पर्दों को बंद कर दिया। खिड़की के पदों को बंद करने के बाद उसने आहिस्ता से श्रेया के पति की लाश को पंखे से नीचे उतारा। 
    
    लाश को पंखे से नीचे उतारने के बाद उसने उसे बेड की चादर में डाला और फिर बेड की चादर लपेट दी। इस दौरान उसने अपने शिगार को बुझा दिया था और उसे खिड़की से बाहर भी फेंक दिया था।
    
    लाश को चदर में डालने के बाद वह बाहर आया और आकर सड़क देखी। सड़क दोनों ही तरफ से सुनसान पड़ी थी। उसने आसपास के घरों की तरफ ध्यान दिया। अमीर लोगों का इलाका होने की वजह से किसी भी घर का दरवाजा खुला हुआ दिखाई नहीं दे रहा था। चहल-पहल भी शुन्य विहीन थी। मानो इलाके में कोई रहता ही ना हो।
    
    यह देखकर स्टीफन ने राहत की सांस ली और दोबारा घर की तरफ चला गया। वहां जाने के बाद उसने लाश उठाई और उसके साथ बाहर आ गया। बाहर आने के बाद उसने लाश को कार की डिक्की में डाल दिया।
    
    लाश को कार की डिक्की में डालने के बाद वह वापस अंदर गया और फांसी वाली रस्सी उठा लाया। साथ लगते उसने घर के कुछ बिखरे हुए समान को थोड़ा सा ठीक ठाक कर दिया। इस तरह से कि मानो किसी को यह पता ना चले यहां कोई आया था। 
    
    इतना करने के बाद उसने घर की सभी खिड़कियों पर परदे टांग दिए। अगर कोई खिड़की खुली हुई दिखी तो उसे बंद कर दिया। इन सबके बाद उसने घर में मौजूद कमरे और किचन के दरवाजे को भी बंद करना शुरू कर दिया।
    
    यह सब करने के बाद वह बाहर आया और घर के मुख्य दरवाजे को बंद कर दिया। मुख्य दरवाजा बंद करने के बाद उसने अपने ओवरकोट में हाथ डाला और वहां से एक ताला निकालकर उसे दरवाजे से लगा दिया।
    
    ताला लगाने के बाद उसने खुद से कहा “अब ज्यादातर लोगों को यही लगेगा कि यह लोग कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं, जब तक सच्चाई सामने आएगी तब तक मामला रफा-दफा हो जाएगा। इसके बाद किसी को पता भी चलता है तो वह कभी भी इस बात की तह तक नहीं पहुंच पाएगा की इनके साथ क्या हुआ था क्या नहीं। आशीष, आने वाले समय में आशीष को कोई खतरा नहीं होने वाला।”
    
    उसने कहा और चाबी उछालते हुए अपने कार की तरफ चल पड़ा। कार की तरफ जाने के बाद वह कार में बैठा और उस स्टार्ट करते हुए पीछे ले लिया। 
    
    कार को पीछे लेने के बाद वह सीधे गेस्ट हाउस की ओर चल पड़ा। 
    
    दोपहर के 2:00 बजने को हो गए थे जब स्टीफन आशीष के गेस्ट हाउस पहुंचा। गेस्ट हाउस शहर से बाहर बना हुआ था। उसके पीछे पार्क के बाद लंबा चौड़ा जंगल था, जबकि दाएं बाएं भी गेस्ट हाउस के पार्क के बाद जंगली इलाका शुरू हो जाता था। गेस्ट हाउस के ठीक सामने वाले पार्क के बाद मुख्य सड़क थी जहां भारी यातायात परिवहन रहता था। सड़क पर गुजरने वाले साधनों को छोड़ दिया जाए तो आशीष के गेस्ट हाउस के आसपास किसी भी तरह की चहलकदमी नहीं थी। सब शुन्य और किसी तरह के सन्नाटे जैसा था।
    
    स्टीफन ने कार गेस्ट हाउस की तरफ ले जाते हुए उसे मुख्य दरवाजे के सामने टाईलों वाले पगडंडी पर खड़ी कर दी। इसके बाद वह नीचे उतरा और तुरंत गेस्ट हाउस के अंदर चला गया।
    
    अंदर जाते ही जब वह हॉल में पहुंचा तो उसे वहां शेम्पिन की बोतल और खाली पड़ी प्लेट दिखाई दी। प्लेट में प्याज और हरी मिर्च के टुकड़े थे। वही दो कांच के गिलास भी पड़े थे। टेबल के ठीक पास नीचे की तरफ श्रेया का बैग था।
    
    स्टीफन के गलेब्स उसके हाथ पर ही चढ़े हुए थे। वह तुरंत टेबल की तरफ बढ़ा और वहां कांच की बोतल और गिलास दोनों को ट्रे में रखते हुए एक जगह कर दिया। इसके बाद उसने वहीं से हाॅल में मौजूद डस्टबिन की तरफ अपने कदम बढ़ाए और ट्रे वाले सामान को ट्रे के साथ ही डस्टबिन में फेंक दिया।
    
    समान को डस्टबिन में फेंकने के बाद वह ऊपर की तरफ चल पड़ा। जैसे ही वह बेडरूम में पहुंचा वहां उसने श्रेया की लाश देखी। श्रेया सिर्फ तोलिया में थी। उसके दोनों हाथ फर्श पर फैले हुए थे। माथे वाले हिस्से से खून निकल कर फर्श पर भी बह चुका था, जो फिलहाल सूखा हुआ था।
    
    स्टीफन ने अफसोस में सिर हिलाया और दीवार की तरफ देखा। वहां भी खून की वजह से लाल रंग के निशान बन गए थे।
    
    उसने तुरंत अपने जेब में हाथ डाला और एक छोटी हार्ड क्लीनर वाली बोतल निकाली। इसके बाद रुमाल लिया और उस पर क्लीनर डालने के बाद दीवार के पास चला गया। 
    
    वहां अपने रुमाल की मदद से उसने दीवार पर बने खून के निशान को साफ किया। खून के निशान को साफ करने के बाद उसने बेड पर मौजूद चादर को उठाया और उसे नीचे बिछा दिया।
    
    श्रेया की लाश उसने बेड पर बिछी हुई चादर में डाल दी। लाश को डालने के बाद वह बाथरुम में गया और वहां से पानी की बाल्टी भरकर ले आया। पौछा और दूसरा सामान भी वह बाथरूम से साथ में ले आया था।
    
    उसने पहले क्लीनर को नीचे पड़े खून पर गिराया जिससे सुखा हुआ खुन वापिस तरल में आने लगा। इसके बाद उसने पौछा लिया और फर्श को साफ करने लगा।
    
    तकरीबन 15 मिनट की मेहनत के बाद उसने फर्श को ऐसा कर दिया था जैसे मानो यहां कुछ हुआ ही न हो। वह बाथरुम में गया और वहां जाकर पानी को फ्लैश कर दिया। ‌ पानी को फ्लैश करने के बाद उसने बाल्टी और पोछा अच्छे से धो दिया।
    
    सब करने के बाद वह बाहर आया और उसने श्रेया की लाश को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया। कंधे पर रखने के बाद वह बाहर की तरफ चल पड़ा जहां श्रेया की लाश को उसने अपनी कार की पीछे वाली डिक्की में पति की लाश के साथ ही रख दिया।
    
    लाश डालने के बाद वह दुबारा घर में गया और वहां से श्रेया के बेग को ले आया। बैग रखने के बाद उसने गार्डन में मौजूद फावड़े को उठा लिया। वो फावड़ा जो खड्डे खोदने के काम आता है।
    
    लगभग 4:00 बजने को हो गए थे। वह कार में बैठा और वहीं से मेन रोड पर चलते हुए जंगल की तरफ चल पड़ा। तकरीबन 2 घंटे के सफर के बाद जब 6:00 बजने को आ गए थे तब वह शहर से काफी दूर एक घने जंगली इलाके तक पहुंच गया था। 
    
    उसने अपने कार को जंगल के अंदर लिया और सड़क से दूर आते हुए उसे एक जगह पर रोक दिया। कार को रोकने के बाद वह नीचे उतरा और वही थोड़ी ही दूर गहरा खड्डा खोदने लगा।
    
    खड्डा खोदने में उसे तकरीबन 1 घंटे का वक्त और लग गया। 7:00 बजे के करीब उसने खड्डा खोदने वाला काम पूरा किया और लाश को उठाकर उसे खड्डे में डाल दिया। फिर इसके बाद मिट्टी गिराई और जब सारा काम निपट गया तब अपने हाथ झाड़ते हुए राहत वाली सांस ली।
    
    राहत वाली सांस लेने के बाद वह कार में बैठा और शहर की तरफ चल पड़ा। 
    
    शहर की तरफ जाते वक्त जब वह बीच रास्ते में पहुंचा तब उसने पीछे वाली सीट पर मौजूद श्रेया के बेग को उठाया और उसे उठाकर बाहर की तरफ फेंक दिया।
    
    बेग को बाहर की तरफ फेंकने के बाद उसने कार की रफ्तार धीमी की, एक शिगार निकाला, उसे जलाया, और फिर कार के म्यूजिक को चालू कर उसका आनंद लेते हुए सड़क पर जाता  चला गया।
    
    उसने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया था। उसके वजह से आशीष अब खतरे से दूर था।
    
     तकरीबन 10 बजे के आस-पास उसकी मुलाकात दोबारा आशीष से हुई। आशीष अभी भी ऑफिस में बैठा था। शांत और गुमसुम से चेहरे के साथ।
    
    स्टीफन ने आशीष से कहा “देखो फिलहाल के लिए तो मैंने सब संभाल लिया है, लाश ठिकाने लगा दी है और किसी तरह का सबूत नहीं छोड़ा।”
    
    स्टीफन यह बोला तो आशीष ने होश में आते हुए कहा “अभी एक और चीज है जो सबूत के रूप में हमारे पास ही मौजूद है। श्रेया की कार! वो कल कार से यहां आई थी। उसका भी कुछ कर देना।”
    
    “कार...” स्टीफन ने सोचने वाला चेहरा बनाया “कार तो किसी कबाड़ी को देकर तहश नहश करवा दूंगा। इसके अलावा कोई और सबूत तो नहीं है।”
    
    “नहीं, इसके अलावा और कोई भी सबूत नहीं है।” आशीष ने कहा और अपने हाथ को ठोढी के नीचे रख आगे पीछे ढोलने लगा।
    
    स्टीफन ने गहरी सांस ली और टेबल की तरफ झुकते हुए किसी अच्छे सलाहकार की तरह आशीष को कहा “देखो, भले ही यह बात फिलहाल के लिए तुम्हें सही ना लगे, मगर तुम खुद जानते हो कि इस बात में सच्चाई है। तुम इमोशनली, इमोशनली और मानसिक तौर से काफी कमजोर हो। इतने कमजोर कि तुमसे किसी का अलग होना भी बर्दाश्त नहीं होता। फिर तुम्हारी कम चीजों को पसंद करने वाली आदत भी तुम्हारी कमजोरी बन रही है। इतने सारे मेंटल इशु के बाद तुम्हें एक बार के लिए खुद के ध्यान को कहीं और लगाना चाहिए। खुद को थोड़ा ओपन करना चाहिए। अपने नेचर को बदल कर, एक ऐसे इंसान के रूप में बाहर आना चाहिए जिसे हर चीज से satisfaction मिले। बदलाव ही है जो तुम्हें सुधार सकता है, और तुम्हे, और तुम्हें एक अच्छा इंसान बना सकता है।” इसके बाद वह पीछे की तरफ हुआ और कहा “बाकी अगर तुम पर किसी भी तरह की मुसीबत आती, तो मैं डिटेक्टिव स्टीफन .... तुम्हारी मदद के लिए हमेशा तैयार खड़ा रहूंगा। हम मिलकर उसका सामना करेंगे।”
    
    आशीष ने गहरी सांस ली और फिर उसे छोड़ते हुए कहा “मैं तुम्हारी बातें याद रखूंगा। खासकर तुम्हारी खुद में बदलाव लाने वाली बात, शायद अब खुद को बदल कर ही सब सही किया जा सकता है। मगर  शायद....” 
 
    ★★★

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

07-Dec-2021 05:20 PM

बहुत सुंदर भाग।👌👌👌👌

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Sana Khan

03-Dec-2021 07:25 PM

Good

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